सीजी भास्कर, 16 मई : प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर निःसंतान दंपत्तियों (Free IVF Treatment) के लिए एक बड़ी राहत की पहल सामने आई है। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को पत्र लिखकर सभी जिला अस्पतालों में निःशुल्क (IVF Treatment) सुविधा उपलब्ध कराने की अनुशंसा की है। उन्होंने इस मांग को सामाजिक न्याय और बाल अधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष के बजट में रायपुर मेडिकल कॉलेज में अत्याधुनिक (IVF Center in Raipur Medical College) स्थापित करने हेतु राशि स्वीकृत की है। डॉ. शर्मा ने सरकार की इस घोषणा की सराहना करते हुए इसे गरीब परिवारों के लिए आशा की किरण बताया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में संतान प्राप्ति के लिए कोई सरकारी चिकित्सा सुविधा या प्रतिपूर्ति योजना उपलब्ध नहीं है। निजी अस्पतालों में (IVF Cost in India) 1.5 लाख से 5 लाख रुपये तक खर्च आता है, जो सामान्य वर्ग के लिए अत्यधिक महंगा है। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध कराकर हजारों निर्धन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति का अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है।
डॉ. शर्मा ने सुझाव दिया है कि पहले चरण में सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में और दूसरे चरण में सभी जिला अस्पतालों में फ्री (IVF Centers in Government Hospitals) स्थापित किए जाएं। उन्होंने इसे न सिर्फ दंपत्तियों का अधिकार बल्कि एक अजन्मे बच्चे के जीवन का अधिकार भी बताया। अगर सरकार इस सुझाव को स्वीकार करती है, तो छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन सकता है जहां सरकारी स्तर पर IVF जैसी महंगी चिकित्सा सेवा आम जनता को मुफ्त में उपलब्ध होगी।
गरीबों को मिलेगा मुफ्त इलाज (Free IVF Treatment)
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने सभी जिला अस्पतालों में निःशुल्क IVF सुविधा की मांग की है। उन्होंने इसे निर्धन दंपत्तियों के लिए संतान प्राप्ति का सुनहरा अवसर बताया है। उनका मानना है कि यदि सरकार यह सुविधा मुफ्त में दे तो हजारों परिवारों की सूनी गोदें भर सकती हैं।
IVF सेंटर की शुरुआत रायपुर से (Free IVF Treatment)
मुख्यमंत्री ने बजट में रायपुर मेडिकल कॉलेज में उन्नत IVF सेंटर की स्थापना के लिए राशि मंजूर की है। अब प्रस्ताव है कि इस सुविधा का विस्तार सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों तक हो। इससे प्रदेश में पहली बार शासकीय IVF सेवा का नेटवर्क खड़ा किया जाएगा।