सीजी भास्कर, 24 मई। स्कूलों एवं शिक्षकों का युक्ति युक्तकरण का प्रदेश में जमकर विरोध होगा।

छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ जिला बस्तर के अध्यक्ष शैलेंद्र तिवारी ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पद संरचना 2008 को दरकिनार रख सरकार के दिशा निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विसंगति पूर्ण युक्ति युक्तकरण के तहत सरकार का खेला उच्च स्तर पर जारी है।
इसके विरोध में विभिन्न शैक्षिक संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा 28 मई 2025 को मंत्रालय घेराव का सामूहिक निर्णय लिया गया है जिसमे बस्तर जिले से भी संयुक्त शिक्षक संघ के सैकड़ों शिक्षक निर्धारित मंत्रालय घेराव कार्यक्रम मे समल्लित होंगे।

श्री तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन की अध्यक्षता में प्रांतीय वर्चुअल बैठक में लगभग 200 पदाधिकारियों की वर्चुअल उपस्थिति में विसंगति पूर्ण युक्ति युक्तकरण की प्रक्रिया को निरस्त करने एवं 28 मई 2025 को निर्धारित मंत्रालय घेराव में शत प्रतिशत उपस्थिति को लेकर आम सहमति बनी है।

CG Bhaskar से बातचीत में जिला अध्यक्ष शैलेन्द्र तिवारी ने सरकार से पूछा है कि क्या विद्यालयों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से प्राथमिक/उच्च प्राथ.प्रधान पाठकों, हाई स्कूलों के प्रचार्यों की पदीय दायित्वों की गरिमा, विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता, शिक्षकों द्वारा अनेक कालखंड के अध्यापन एवं एक के बाद एक विभागीय कार्यों की पूर्णता की जिम्मेदारी से मानसिक संतुलन पर विपरीत एवं प्रतिकूल असर नहीं होगा?
उन्होंने कहा कि पूर्ण युक्तियुक्त करण की कार्यवाही पर प्रदेश स्तर पर अनेक राजनैतिक, सामाजिक एवं सर्व शैक्षिक संगठनों के कड़े विरोध के बावजूद भी जारी प्रक्रिया को यथावत रखे जाने का तुक समझ से परे है।
पारदर्शी एवं नीतिगत युक्ति युक्तकरण का विरोध नहीं
श्री तिवारी ने कहा कि वर्ष 2008 मे जारी विद्यालयों मे एक निश्चित दर्ज संख्या के अनुरूप शिक्षकों की पद संरचना को यथावत रखते हुए, प्रधान पाठकों, हाई स्कूल प्रचार्यों का पदीय अधिकारों एवं गरिमा को ध्यान रखते हुए जिन विद्यालयों मे अतिशेष शिक्षक कार्यरत हैँ उन्हें युक्तियुक्त करण किया जाना लाजिमी है। किन्तु सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना किसी भी सूरत मे बर्दास्त नहीं।
शासकीय विद्यालयों मे विद्यार्थियों के दर्ज संख्या में कमी के कई मुख्य कारण हैं जिसमें कभी ख़त्म न होने वाले शिक्षकों का गैर शिक्षकीय कार्य, NGO का हस्तक्षेप, संसाधनों की कमी एवं शासकीय नियमों तथा कोरम पूर्ति के आभाव वाले छोटे छोटे निजी विद्यालयों को शासन द्वारा मान्यता प्रदान किया जाना भी है।
सरकारी विद्यालयों मे संसाधन की कमी सहित ऐसे अनेक कारक हैं जिस पर सरकार एवं विभागीय नुमाइंदों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकारी स्कूलों को नहीं बल्कि निजी विद्यालयों को बंद किया जाना चाहिए।
सरकारी स्कूलों मे शिक्षकों की कमी कर शिक्षा गुणवत्ता को धीमी धीमी प्रभावित करना, युक्तियुक्त करण के नाम पर सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना एवं निजी विद्यालयों को बढ़ावा देना, शिक्षा के निजीकरण का संकेत है। इसलिए इसका विरोध किया जाना राष्ट्र हित, समाज हित, शिक्षा हित, शिक्षक हित के लिए अति आवश्यक है।
अध्यक्ष शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि 28 मई 2025 को युक्ति युक्तकरण एवं अन्य तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के 23 शैक्षिक संगठनों के नेतृत्व मे मंत्रालय का घेराव का कार्यक्रम निर्धारित है जिसमे बस्तर जिले से भी सैकड़ों साथी शामिल होंगे।