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GIS Technology for Water Conservation : छत्तीसगढ़ में 11,663 पंचायतों में GIS तकनीक से होगा पानी का संरक्षण

By Newsdesk Admin 27/08/2025
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GIS Technology for Water Conservation
GIS Technology for Water Conservation

सीजी भास्कर, 27 अगस्त। प्रदेश में जल संकट की बढ़ती समस्या से निपटने और जल संरक्षण को वैज्ञानिक ढंग से मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार अब जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम यानी जीआइएस तकनीक (GIS Technology for Water Conservation) का उपयोग करने जा रही है।

Contents
केंद्रीय स्तर पर निगरानीभू-जल स्तर में गिरावट चिंताजनक
पंचायत स्तर पर पौधारोपण, जल संचयन और संवर्धन के लिए उपयुक्त स्थानों की खोज अब आधुनिक तकनीक से होगी। यह पहल राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी मोर गांव मोर पानी महाअभियान के तहत की जा रही है।

केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार अब पंचायतों के विकास कार्यों की योजनाएं जीआइएस आधारित (GIS Technology for Water Conservation) तैयार होंगी।

इसके लिए युक्तधारा पोर्टल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे न केवल योजनाओं की सटीकता बढ़ेगी बल्कि निगरानी और क्रियान्वयन की प्रक्रिया भी पारदर्शी होगी।

अधिकारियों और कर्मचारियों को इस दिशा में प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे तकनीकी तौर पर दक्ष होकर बेहतर परिणाम दे सकें।

फिलहाल, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सभी जिलों के एक-एक विकासखंड की पंचायतों में इस तकनीक का प्रयोग किया गया था। परिणाम उत्साहजनक रहे और इसी कारण अब इसे व्यापक स्तर पर लागू करने की तैयारी है।

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल 2026 से प्रदेश की 11,663 ग्राम पंचायतों में इस तकनीक (GIS Technology for Water Conservation) को लागू किया जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक के जरिये जलस्रोतों के आसपास की भूमि के भू-प्राकृतिक स्वरूप का विश्लेषण कर यह पता लगाया जा सकेगा कि किस प्रकार की संरचनाएं और सुविधाएं बनाई जाएं ताकि जल संचयन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

इससे उपयुक्त स्थानों का चयन आसान होगा और भविष्य में जल संकट से बचने के लिए टिकाऊ समाधान सामने आएगा।

केंद्रीय स्तर पर निगरानी

युक्तधारा पोर्टल के माध्यम से पंचायतों में होने वाले सभी विकास कार्यों की निगरानी अब केंद्रीय स्तर से होगी। पोर्टल पर पंचायतों की सरकारी भूमि और अन्य संसाधनों की जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी।

इससे राज्य सरकार को सही आंकड़े मिलेंगे और योजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध व प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। यह पोर्टल ग्राम पंचायत स्तर पर मनरेगा गतिविधियों की योजना को सुविधाजनक बनाने का भी प्रमुख साधन बनेगा।

भू-जल स्तर में गिरावट चिंताजनक

प्रदेश में भू-जल स्तर (Groundwater Level) लगातार नीचे जा रहा है। पिछले 20 वर्षों में सुरक्षित विकासखंडों की संख्या 138 से घटकर 120 पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा अप्रैल में जारी सर्वेक्षण रिपोर्ट ने इस स्थिति को गंभीर बताया है।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के 146 विकासखंडों में से पांच विकासखंड – बालोद जिले का गुरूर, बेमेतरा जिले के नवागढ़, बेमेतरा, बेरला और रायपुर जिले का धरसींवा – गंभीर श्रेणी में आ गए हैं। वहीं 21 विकासखंड धीरे-धीरे गंभीर श्रेणी की ओर बढ़ रहे हैं।

जल संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि जीआइएस तकनीक (GIS Technology for Water Conservation) का उपयोग प्रदेश के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।

इससे जल संचयन व संवर्धन योजनाओं को वैज्ञानिक आधार मिलेगा और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से योजनाएं तैयार होंगी।

राज्य सरकार का मानना है कि इस तकनीक के जरिये आने वाले समय में जल संकट की समस्या को नियंत्रित किया जा सकेगा और प्रदेश के ग्रामीण इलाकों को राहत मिलेगी।

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TAGGED: GIS Mapping, GIS Technology for Water Conservation, Groundwater Level, Jal Shakti Ministry, Sustainable Water Management, Water Conservation, Yuktadhara Portal, जल संचयन, जल संरक्षण, जल संवर्धन, नवा रायपुर, पंचायत विकास कार्य, भू-जल स्तर, मोर गांव मोर पानी, युक्तधारा पोर्टल
Newsdesk Admin 27/08/2025
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