17 मार्च 2025 :
क्रिकेट में आज भारत सुप्रीम पावर है। टीम इंडिया वनडे और टी20 में निर्विवाद रूप से नंबर 1 है। देश की क्रिकेट को चलाने वाला बीसीसीआई सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। उसकी ओर आयोजित होने वाले टी-20 टूर्नामेंट आईपीएल से पैसों की बारिश हो रही है।
इसमें भीग जाने के लिए देश के ही नहीं, विदेश के भी टॉप स्टार खिंचे चले आ रहे हैं। यही वजह है कि इस दश की शुरुआत तक ऑस्ट्रेलिया के मगरूर मिजाज क्रिकेटर भारतीयों से गले लगना तो दूर हाथ मिलाने से तक कतराते थे, आज वही हमारे नवोदित खिलाड़ियों से तक तहजीब से पेश आते हैं।
हमारी हार-जीत के मौके पर टीम के खिलाड़ियों से गले लगाने के बहाने ढूंढते हैं। यह कहना है प्रसिद्ध हिंदी कमेंटेटर सुशील दोषी का। मास्टर्स लीग की कमेंट्री के लिए रायपुर आए दोषी ने भास्कर के सचिन गुप्ता से कई मसलों पर चर्चा की। यहां पेश है प्रमुख अंश…
सवाल: भारत क्रिकेट का सुपर पावर है, क्या बदल गया है?
जवाब: हमारी क्रिकेट में बदलाव दो कारणों से हुआ है। पहला- खिलाड़ी किसी क्षेत्र विशेष से नहीं आ रहे हैं। दूसरा है बाजारवाद। क्रिकेट में इस सदी में जैसे-जैसे हमने जीत गए, स्पॉन्सर्स को विशाल बाजार नजर आया। जेंटलमैन गेम कहा जाने वाला क्रिकेट का खेल हमारे देश में धर्म बन गया। आईपीएल से इतना पैसा मिल रहा कि दूसरे देशों के क्रिकेटर इसमें खेलने के अपनी देश की टीम से हटने तक का अफसोस नहीं।
सवाल: कमेंट्री को कैसे आंकते हैं?
जवाब: मुझे हिंदी कमेंट्री करते हुए लगभग 57 साल हो रहे हैं। रेडियो से मैंने शुरुआत की थी। तब आंखों देखा हाल सुनाता था। गावस्कर के दौर से होता हुआ मेरा सफर 90 से ज्यादा टेस्ट और 500 वनडे के पार पहुंच चुका है। जब मैंने हिंदी कमेंट्री शुरू की थी, तो उस समय कोई मानने को तैयार नहीं था कि हिंदी में कमेंट्री हो सकती है।
धीरे-धीरे लोगों को मेरी शैली पसंद आई, यह मेरे लिए गर्व की बात है। मैंने हमेशा शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखा। पर आज वो मर्यादा तार-तार होती दिख रही है। मैं नाम नहीं लेना चाहता, पर हिंदी में कमेंट्री कर रहे लोग ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे असामाजिक तत्व इस्तेमाल करते हैं। इसे सुधारना होगा, बीसीसीआई इस पर समय रहते ध्यान दे।
जवाब: निश्चित रूप से क्रिकेट का स्तर तो ऊंचा हुआ है, इसमें कोई संशय नहीं है। पर क्रिकेट की कलात्मकता खत्म हो रही है, यह चिंता का विषय जरूर है। आज हम टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटर्स को खासकर क्वालिटी स्पिनर्स के सामने जूझते हुए पा रहे हैं। वे फ्लोटर्स को पहचानने में गलती कर विकेट गंवा रहे हैं। जरा सी गेंद घूमती है, तो वे विचलित हो रहे हैं, यह चिंता का विषय है, क्योंकि 20 ओवर के गेम में तो ये चल जाएगा, पर 50 ओवर और टेस्ट मैच उनकी कमजोरी उजागर कर देता है। पावर गेम में भी क्रिकेट के बेसिक्स अपनाकर खुद को निखारा जा सकता है।
सवाल: रायपुर जैसे शहरों में क्रिकेट उभर रहा है, पर क्रिकेटर नहीं निकल पा रहे?
जवाब: यह सही है कि टियर 2 के साथ ही क्रिकेट टियर 3 शहरों तक जा पहुंचा है। आज रायपुर में इंटरनेशनल स्टेडियम है। खिलाड़ियों यहां से निकालने के लिए कारोबारियों, उद्यमियों को पहल कर अकादमी खोलनी चाहिए, क्रिकेट क्लब बनाएं। ऐसा करने से शहर में सैकड़ों क्रिकेटर आएंगे। उनमें कोई एक या दो सितारे बनकर टीम इंडिया या ऐसी अन्य टीमों में जगह बना पाएंगे। बगैर इसके संभव नहीं।
सवाल: रायपुर स्टेडियम में फैंस को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब: निश्चित रूप से रायपुर के लोगों की रग-रग में क्रिकेट बसता है। इसी का प्रमाण है कि मास्टर्स लीग के मुकाबले में 20 हजार से ज्यादा दर्शक पहुंचे। सेमीफाइनल में आंकड़ा 25 हजार के पार पहुंच गया। और फाइनल में तो स्टेडियम लगभग पूरा भर गया और 50 हजार के करीब दर्शक पहुंच गए। वैसे आयोजकों को दर्शकों की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए। कोशिश करें कि उन्हें स्टेडियम से कई किलोमीटर दूर पार्किंग से पैदल न आना पड़े। पानी-टॉयलेट की समुचित व्यवस्था हो।
सवाल: रायपुर या देश की दूसरी पिच को लेकर क्या कहेंगे?
जवाब: ये आयोजकों का अधिकार है कि वे पिच कैसी तैयार करते हैं। फिर भी प्रतिद्वंद्विता के हिसाब से थोड़ी स्पोर्टिंग पिच जरूर बनाएं। टी-20 में आजकल सपाट पिच बनाई जा रही हैं। इसीलिए स्कोर 200-250 पहुंच रहे हैं। कुछ बॉलर के लिए भी जगह रखें।